“पर बहुत-सी चीज़ों को समझने के लिए दृष्टि से ज़्यादा दृष्टिकोण की ज़रूरत होती है. दीदी का तर्क भी उतना ही न्याय संगत था. कहने लगीं कल को चीकू औरों से पिछड़कर कुछ बन नहीं पाया, तो बड़े होकर हमें ही दोष देगा कि हमने उस पर ध्यान नहीं दिया. उसे समुचित टयूशन, महंगी … Continue reading कहानी- तेरा साथ है कितना प्यारा… 2 (Story Series- Tera Saath Hai Kitna Pyara… 2)
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